कविता

“प्यार”

प्यार होता सुहाना सफर है सुना

जिंदगी ख्वाब खुशियाँ खिला जाएगी

मन मना के कहे मन सुना के सुने

रूह से रूह खुद आके मिल जायेगी ||

 

प्रिय मिले न मिले दिल मिल जाता है

ख्वाब एक दुजे संग खिल जाता है

कहती है दुनियां इसे आवारगी

लव डरके साये से हिल जाता है ||

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

4 thoughts on ““प्यार”

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय कुमार सिंघल जी, आभार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय श्री गुरमेल सिंह जी

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