कविता

मैं भारत की बेटी हूँ

कभी कुचल दी जाती हु
कभी मसल दी जाती हु
कभी पेड़ पे लटकी या कब्र में लेटी हूँ , हाँ मै भारत की बेटी हूँ

कभी जुए में हारी जाती हूँ
कभी कोख में मारी जाती हूँ
झूठ है कि मैं सब की चहेती हूँ , हाँ मै भारत की बेटी हूँ

कभी अग्नि परीक्षा ली जाती है
दहेज़ की आग में जली जाती है
जीते जी मैं ही चिता पे बैठी हूँ , हाँ मै भारत की बेटी हूँ

हर तरफ है मेरे लिए बुरी दृष्टि
जबकि मैं ही रचती हूँ नव सृस्टि
सृजन हेतु खुद को दाँव पे रख देती हूँ , हाँ मै भारत की बेटी हूँ

पर मैं भी अब बेखौफ रहूंगी
अब और ज़ुल्म नहीं सहूंगी
दुर्गा ,काली सी शक्ति खुद में समेटी हूँ ,हाँ मै भारत की बेटी हूँ

……….मनोज”मोजू”…………..

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.

One thought on “मैं भारत की बेटी हूँ

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा प्रेरक गीत !!

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