बेवफा लहरें
समुद्र की लहरें कभी खामोश नहीं रहतीं,
समुद्र की लहरें कभी वफ़ा नहीं करतीं,
उनकी फितरत है लौट जाना,
साहिल को भिगोकर,
लहरों पे कभी यकीन न करना
रेत पर पाँव जमा कर रखना,
वरना, बेवफा लहरें बहा ले जायेंगी,
तुम्हें भी, तलुए के नीचे की रेत के साथ,
समुद्र के किनारे खड़े होना भी जद्दोजहद है,
ठीक वैसी ही, जैसी रोज होती है मेरे साथ,
दो वक्त की रोटी कमाने के लिए,
चुकाने पड़ते हैं, कई वक्त की रोटियों के दाम,
23/7/2015
सुंदर कविता !