कविता

वो तो सिर्फ एक कहानी बन गए

वो अक्सर मुझसे कहा करते हैं
की मेरे आने से
उनकी आँखों की प्यास बुझ जाती है
गर ऐसा था
तो मेरे अपने ही क्यों
मेरी आँखों का पानी बन गए…..
सोचा था कभी
की बिता दूंगा पूरी जिंदगी उनके साथ
न छिप सकेगी कोई बात जिनके साथ
एक झटके में मुझे यूँ लगा
की जिसे हक़ीक़त बनाने चला था
वो तो सिर्फ एक कहानी बन गये
एक अहसास ही काफी था सब कुछ मिटाने के लिए
यूँ लगा जैसे जिंदगी रुक गयी मेरी
पानी मेरी आँख के आंसू बन गए
जिसे हक़ीक़त बनाने चला था
वो अब सिर्फ कहानी बन गए
कह दिया उनसे चले जाओ न सताओ
मेरी शामो सहर से कहीं दूर चले जाओ
क्योंकि
जानता था वो भी यूँ न जा पाएंगे
मेरी आँख के आंसू
उनकी भी आँख के आंसू बन गए
जिसे हक़ीक़त बनाने चला था
वो अब सिर्फ कहानी बन गए
जिनके बिना जीवन यह जीवन न था
काटे भी मेरे दिन और रात कटते न थे
कब मेरे जीने का सहारा बन गए
जिसे हक़ीक़त बनाने चला था
वो तो सिर्फ एक कहानी बन गए
काश जीत पाते वो मेरा विश्वास
संभाल लेते मुझको
न टूटने देते दिल वो मेरा
और आज मैं यह कहता
जो कल तक एक कहानी लगते थे
वो आज मेरी जिंदगानी बन गए
जिसे कहानी कहानी कहता था
आज वो मेरी साँसों की रवानी बन गए
मेरे जीवन की अनवरत निशानी बन गए

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

One thought on “वो तो सिर्फ एक कहानी बन गए

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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