लघुकथा : पाचन शक्ति
“हाँ हाँ !! हमारी कार हैं ले जाएगा बाजार ! सारी दुनिया के बच्चे कार लेकर घूमते हैं एक इनको हर बात पर टोकना होता हैं बच्चों को।” रसोई से अमृत जोर से चिल्लाते हुए बोली
” १८ साल से कम का हैं तो क्या ?? लगता तो २२- २४ बरस का हैं ! अब यह तो कनाडा जाकर बस गए और हमें छोड़ गए इन बूढों से माथा-पच्ची को ! कौन सा दिन आएगा जब हम यह घर बेच कनाडा जायेगे।फ़ोन आते ही शिकायते लगाने बैठ जाएंगे यहाँ दर्द वहां दर्द बस जबान ही दर्द नहीं करती इनकी बोलते हुए।
अमृत का बुड़बुड़ाना लगातार जारी था लेकिन उसकी आवाज़ बाहर गेट तक आ रही थी। बीजी चुन्नी में मुंह छिपाए रो रही थी और बाउजी का चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था-
“आने दे इस बार नानक को. मैंने कह देना उसे. ले जा इस मिटटी की ढेली को अपने साथ, हमारा घर हैं हम अकेले रह लेंगे लेकिन आँखों के सामने बच्चो को गलत संगत में जाते नहीं देख सकतेऔर न इसके इतने मीठे बोल सुन सकते अब। चुप कर !! अबके साफ़ बात करेंगे जब फ़ोन करेगा तो…।”
बूढ़े माता -पिता बहु पोते के रहमो करम पर थे। अचानक घंटी बजी और हमेशा की तरह बाउजी ने दरवाज़ा खोला – “ओये !!! जी सदके!! आज कुछ और ही मांग लेते सोहने रब से !! पुत्तर तेरी उम्र लम्बी हैं बहुत लम्बी…।”
हैरानी से अचानक आये पति को देखती अमृत को अपनी धड़कन बुलेट ट्रैन की माफिक लगी। आज तो बीजी बाउजी उसकी शिकायत लगाकर उसका पति से झगड़ा करा देंगे
लेकिन जब पानी लेकर बाहर आई तो बीजी को कहते सुना पुत्तर सब चंगा यहाँ , तेरी वोटी (पत्नी) खाना बहुत अच्छा बनाती हैं हमारे लिए, तेरा पुत्तर तो हमारे से पूछे बिना पानी भी नही पीता। जो कहे करता हैं।”
फिर बहु की तरफ देख कर बाउजी बोले- “अमृत जा कुड़िये पकोड़े बना आज तो बहुत कुछ पचाना हैं। आज हमने बेटे के अचानक आने की ख़ुशी में”
अमृत के चेहरे पर तनाव की लक़ीरें कुछ कम हुयी और उसने देखा कनखियों से बीजी बाउजी का हाथ दबा कर शांत रहने को कह रही थी।
तोलिये से हाथ पोंछते हुए नानक बोला – “पाचन शक्ति बहुत प्रबल हैं मेरे बीजी बाउजी की। मैंने सब सुना गेट पर खड़े होकर टैक्सी वाले को पैसे देते हुए।”
— नीलिमा शर्मा (निविया)