मुक्तक
बहुत खा ली खटाई अब मुझे अच्छी नहीं लगती।
कि चीनी बिन मिठाई अब मुझे अच्छी नहीं लगती।।
कि नेताजी को गद्दी की पड़ी आदत सुनो जबसे।
सभाओं में चटाई अब मुझे अच्छी नहीं लगती।।
— अमनचाँदपुरी
बहुत खा ली खटाई अब मुझे अच्छी नहीं लगती।
कि चीनी बिन मिठाई अब मुझे अच्छी नहीं लगती।।
कि नेताजी को गद्दी की पड़ी आदत सुनो जबसे।
सभाओं में चटाई अब मुझे अच्छी नहीं लगती।।
— अमनचाँदपुरी