कविता

श्रद्धांजलि

भूल सकेगा नहीं देश यह dr kalam1
गौरव का अभियान तुम्हारा ।
हे भारत के भाग्य विधाता
तुमको शत सम्मान हमारा ।।

भारत माँ के अमर लाल तुम ।
राष्ट्र शत्रु के महाकाल तुम ।
उन्नति की अभिलाषा लेकर ।
नव पथ की परिभाषा देकर ।
स्वाभिमान के हर अवसर पर।
पूर्ण समर्पण आयुधबल पर।

प्रहरी बनकर आज खड़ा है
देखो अनुसंधान तुम्हारा ।।
हे भारत के भाग्य विधाता
तुमको शत सम्मान हमारा ।।

अखबार बेच जीवन साधा ।
अद्भुद संघर्षो की गाथा ।
थी शक्ति चरम लेखनी में ।
सड़को पर बैठ रौशनी में ।
विज्ञान सूत्र रचते रहते ।
संकल्प मान गढ़ते रहते ।

नवयुग के तुम कर्ण धार थे ।
है तुम पर अभिमान हमारा ।
हे भारत के भाग्य विधाता
तुमको शत सम्मान हमारा।।

स्वीकार चुनौती कर हँसकर।
बना गए परमाणु उपस्कर ।
लक्ष्मण रेखा खीच गए तुम ।
दम्भ शत्रु का तोड गए तुम ।
बच्चों को प्यार दुलार दिया ।
भारत को नव संसार दिया ।।

सूरज सम युग पुरुष बने तुम
अमर हुआ दिनमान सहारा ।।
हे भारत के भाग्य विधाता
तुमको शत सम्मान हमारा ।।

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]