परछाई भी हूँ और मैं तेरा हौसला भी हूँ
परछाई भी हूँ
और मैं तेरा हौसला भी हूँ,
कोई साथ नहीं पर हर कदम मैं तेरे साथ हूँ,
तेरे रूकने से वक्त तो रूकता नहीं
पर मैं ठहर जाती हूँ, सहम जाती हूँ,
तेरी हर तकलीफ से वाकीफ हूँ,
मैं खुदगर्ज नहीं हूँ ना ही मतलबी हूँ,
तुझे अंधेरे में अकेला छोड़ देती हूँ
ऐसा नहीं है मैं अदृश्य हो जाती हूँ,
तेरे कदमों के निशान मैं नहीं मिटाती हूँ,
परछाई हूँ, एक साहस हूँ,
अर्दश्य होकर भी तेरे साथ हूँ,
तेरी कामयाबी, तेरे सुख-दूखः पर मैं साथ हूँ,
दर्पण और नीर में मैं तेरे रूप में दिखती हूँ,
तेरा प्रतिबिम्ब बनकर तुझसे बात करती हूँ,
मैं जब परछाई हूँ तो मैं भी तन्हा हूँ,
तेरी तन्हाई को में बहुत अच्छे से समझती हूँ,
तुझे दुनिया धोका देती है मैं इसका दर्द जानती हूँ,
रास्ते कदमों तले निकलते रहे, तु आगे बढ़ता गया,
मैं हमेशा तेरे पीछे हूँ कभी आगे नहीं बढ़ पाई हूँ,
मैं परछाई हूँ, मैं गरिमा में रहना जानती हूँ