शिशुगीत

शिशुगीत – ७

१. जूते

कील, धूल से हमें बचाते
पॉलिश पा चमचम हो जाते
काले हों या रंग-बिरंगे
जूते काम हमेशा आते

२. चप्पल

जैसे जूता वैसे चप्पल
इसके बिन मत फिरना इक पल
कॉकरोच पर पैर पड़ा तो
तन में हो जाएगी हलचल

३. मच्छरदानी

रोज लगाओ मच्छरदानी
बैठ उसी में पढ़ो कहानी
वरना मच्छर के हमले से
नहीं बचा पाएगी नानी

४. खिड़की

खुलते ही ताजी हवा
कमरे में ले आती है
आँधीं में खड़-खड़ करे
थोड़ा-बहुत डराती है

५. दरवाजा

करता घर की पहरेदारी
हमें बचाता चोर से
जैसे कोई इसको पीटे
चिल्लाता है जोर से

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन