ग़ज़ल
मुझपे ही नही मेरा इक्तिहार ज़रा सा ,
आप कहते हो कि करो इंतजार जरा सा ।।
उम्र भर का दर्द दिया है मुझे बदले में ,
दो पल जो किया था तूने प्यार जरा सा ।।
अब नही तेरे वादे पे यक़ीन मुझको ,
लिखकर दे काग़ज़ पर ये क़रार जरा सा ।।
वादा करके भी तेरे पास नही आऊँगी ,
तू भी तो हो जुदाई में बेक़रार जरा सा ।।
अधूरी रह जाती है कुछ ख़ुशियाँ अकसर,
टूट ही जाता है कोई वादा हर बार जरा सा ।।
— पूजा बंसल