कविता

महान होने का पराक्रम

आदमी है कि
स्वः की स्थापना हेतु
महान होने की प्रक्रिया में
उधृत करता है लगातार
और सामने वाले की चुप्पी से
कर देता है गौण उसे
मानो लगा है पत्थरों का बाजार,
पूजास्थल में स्थापित मूर्तियाँ
मौन की भाषा में
करती हैं अभिव्यक्त
और आदमी है कि
उसकी ख़ामोशी की सहन शक्ति का
लेता है इम्तिहान.
शब्दों का षडयंत्र रचता
महान होने की प्रक्रिया में
स्वयंभू की घोषणा करते
भूल जाता है
महान होने की प्रक्रिया है एक साधना
न कि शोर करते हुए
शब्दों को दुंदूभि की नोक पर रख
उल्लास से शोर को मंजिल मान लेना.
महान होने के लिए
मौन के आवर्त में अन्य को सुनना
ही पर्याय होना है.
मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियाँ
मौन के सिंहासन पर से
सुनती हैं सब कुछ
तभी तो सृष्टि में
मौन के आवरण में ढकी मूर्तियाँ पूजनीय हैं.
अशोक आंद्रे

अशोक आन्द्रे

अब तक निम्नलिखित कृतियां प्रकाशित : फुनगियों पर लटका एहसास, अंधेरे के ख़िलाफ (कविता संग्रह),समय के गहरे पानी में (कविता संग्रह ),दूसरी मात (कहानी संग्रह), कथा दर्पण (संपादित कहानी संकलन), सतरंगे गीत , चूहे का संकट (बाल-गीत संग्रह), नटखट टीपू (बाल कहानी संग्रह). लगभग सभी राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित. 'साहित्य दिशा' साहित्य द्वैमासिक पत्रिका में मानद सलाहकार सम्पादक और 'न्यूज ब्यूरो ऑफ इण्डिया' मे मानद साहित्य सम्पादक के रूप में कार्य किया . सम्मान - राष्ट्रीय हिंदी सहस्त्राब्दी सेवी सम्मान 2001, हिंदी सेवी सम्मान 2005 ( जैमिनी अकादमी (हरियाणा ), आचार्य प्रफुल चन्द्र राय स्मारक सम्मान २०१० (कोलकता), ट्वंटी टेन राष्ट्रिय अकेडमी एवार्ड (हिंदी साहित्य ) २०१० (कोलकत्ता )