कविता
एक बहन का भाई के लिए प्यार था वो रक्षा बंधन का तयोहार .
कबिता-
घर के आँगन में एक छोटी सी बच्ची खून की आंसू रो रही थी
जैसे वो किसी को बारे में सायद सोच रही थी
देख की उसकी पीड़ा ना रहा गया उस भगवान् से
पूछने आ गए उससे की आखिर क्या हुआ है उसे मानव अवतार में
जाते ही करीब उस बालिका के
कहाँ उन्होंने की बेटी तुम अपनी पीड़ा बताओ,
आखिर क्या हुआ है क्यु रो रही हो कुछ तो तकलीफ बताओ
अपने कप – कपाते होठो से उस लड़की ने अपनी पीड़ा बताई
कहा की कल ही है राखी अब तक ना आया मेरा भाई
वो है एक सैनिक और मुझसे दूर कही सरहद के सिम पर तैनात है,
घर में एक छोटी बहन उसकी राह देख रही है तनिक न उसको ख्याल है
जब कल सभी बहने अपने भाई को राखी बांधे गी
क्या हमे अपने भाई और उसे अपने बहन की तनिक भी याद न आएगी
देख के सरहद पर भाई बहन के प्यार को वो भी आंसू बहाएगा
मेरी यादो का एक झरोखा उसके समीप जब जाएगा
अगर मैं होती चिड़िया तो उर के उनके पास जाती
बांध के राखी उनके हाथो में माथे पर चन्दन की तिलक लगाती
देख के उस छोटी सी बालिका की लालसा भगवान भी चकरा गए
सुनने लगे बैठ के वही उसकी दास्ताँ और उसी के बातो में मोहा गए
सुनने के बाद उसकी बाते अंत में उन्होंने उस बालिका को एक बात कही
अगर तुमने थोड़ी सी अपनी मुस्कान दिखाई तो मैं बुलवा दूंगा तुम्हारा भाई
सुन कर उनकी बाते उस बालिका के लबो पर थोड़ी सी मुस्कान आ गयी,
फिर अगले ही सुबह उसकी बाकी की मुस्कान (भाई) वापस आ गए…