आज का आतंकवाद
आज पकड़े गए एक आतंकवादी से जुड़ी हुई कुछ पंक्तियाँ
आज मैं ऑफिस से घर आ कर बैठा बैठा बोर हो रहा था
एक आतंकवादी मारा गया एक जिन्दा पकड़ा गया ऐसा घर के बाहर शोर हो रहा था.
मैंने भी उठकर थोड़ी राहत की सास ली
थोड़ा बाहर का माहोल देखा फिर टीबी खोली..
खोलते ही चैनल वही रिपोट चल रहा था
हज़ारो के बिच में एक 18 साल का बच्चा (आतंकबादी)
जिसको ये भी नहीं पता की दुनिया कितनी बड़ी है
मुस्कुरा मुस्कुरा के कुछ बोल रहा था
वो उन हज़ारो के बिच सब कुछ
बे झीझक बोल रहा था
अपन किये हुए जुर्म के हर पने को खुलम खुलम खोल रहा था
उसके आँखों में डर ना था की वो अब मारा जाए गा
उसे ये भी ख़ौफ़ ना था की उसे सूली पर चढ़या जाए गा
देखते ही उसके चेहरे को मेरा इंसानियत बोल उठी
अरे ये कोई आतंकी नहीं हो सकता
इसे इसकी गरीबी ने हथियार उठवाया है
मैंने उसकी मासूमियत देखी उसकी इंसानियत देखि
हां भले ही दुनिया वाले ने उसकी हैवानीयत देखि
अगर वो होता एक आतंकवादी तो सब कुछ उही ना हँस हँस कर बताता
चाहे वो अपने जान से ही क्यु ना हाथ धो जाता
हां वो है हमारा गुनहगार हमे देनी चाहिए उसे मौत
क्युकि
उसने हमारे 2 भाइयो को मारा है
पर मैं नहीं मानता कि कोई माँ के पेट से आतंकवादी बन कर आता है
बल्कि ये सच है की
दुनिया में आने के बाद ही उसे आतंकवाद सिखाया जाता है
इस आतंकवाद को बनाने वाले और न कोई दूजे है
अगर है कोई बड़ा गुनहगार
तो उस आतंकी से बढ़ कर हमारे देश के नेता है
ये नेता बस भोट बैंक की ही राजनीती करवाते है
ये है हिन्दू और ये है मुलमान बता कर
सरहद पर जवांनो और देश में जनता का सर कटवाते है
अगर इतनी ही आतंकवादियो को मारना है तो एक काम करो
ये सारे पाकिस्तानी आतंकवादी है इनका सर्वनास करो
तुम उनके एक एक को मारोगो गे वो हमारे दस दस को मारेंगे
अगर
हम आ गए अपनी अवकात् पर तो वो हमारा कुछ ना उखाड़ेंगे
आप सभी को मेरी तरफ से कोटि कोटि नमन , आशा करता हु की आप सब उही हमारी कबिताये पसन्द करेंगे
वाह आपके देखने का नजरिया बिलकुल अलग …हालाँकि मैंने भी कुछ ऐसा ही देखा था … पर लोग जो कह रहे हैं झोत तो नहीं कह रहे होंगे न! गृह मंत्री जब लोकसभा/ संसद में बयां देते है तो तो कुछ तथ्य तो उनके सामने होंगे ही….. वैस आपका सकारात्मक सृजन काबिले तारीफ है
धन्यबाद श्रीमान जी
अच्छी सामयिक कविता
धन्यवाद श्रीमान जी