क्षणिका
कल रात
सपने में
पाँव देखे थे….
चारों तरफ
आसमान था
सिर्फ आसमान…
जब मैंने
पाँव के बदले
पंख मांग लिये
तो
आसमान रास्तों में
तब्दील हो गया
अब
मैं हूँ
पंख हैं
और रास्ते हैं
और अम्बर गुम है…!!
…रितु शर्मा….
कल रात
सपने में
पाँव देखे थे….
चारों तरफ
आसमान था
सिर्फ आसमान…
जब मैंने
पाँव के बदले
पंख मांग लिये
तो
आसमान रास्तों में
तब्दील हो गया
अब
मैं हूँ
पंख हैं
और रास्ते हैं
और अम्बर गुम है…!!
…रितु शर्मा….