हे ! भारत के वीर सपूतो
हे ! भारत के वीर सपूतों तुम वतन के सच्चे यार बनो
चाँद के जैसे रौशन हो और नभ के एक एक तार बनो
सारी दुनिया देख रही है सिर्फ तुम्हारे मस्तक को
उठो बहादुर पढ़ो लिखो भारत की जय जयकार बनो..!
गीत बनो संगीत बनो तुम महाकाव्य की धार बनो
रफ़ी साब की नाव में बैठो कबिरा की पतवार बनो
सारी दुनिया देख रही है अपने हर एक खेल को
तुम्हीं तो मेजर ध्यानचंद और तेंदुलकर अवतार बनो…..!
देश सँभालो लोकतंत्र के तुम सच्चे किरदार बनो
अटल बिहारी वाजपेयी सी तुम अटल सरकार बनो
सारी दुनिया देख रही है हिंदुस्तान की हिम्मत को
तुम्हीं गांधी, लालबहादुर और वल्लभ सरदार बनो…!
तुम्हीं भगत् सिंह, राजगुरु, सुखदेव की तलवार बनो
तुम्हीं कृष्ण सा चक्र उठा लो पावन गीता के सार बनो
सारी दुनिया में पहुंचा दो तुम अपने यशगानों को
तुम्हीं विवेकानंद के जैसे भारत का श्रृंगार बनो…!
— नीरज पान्डेय
बहुत सुंदर और प्रेरक गीत !
आपके स्नेह को बेहद आभार,आपका आशीष मुझपर यूंही बना रहे।
काश ऐसा हो जाए
हिंद कमाल का हो जाये
उम्दा
क्या बात है।
आपके स्नेह को बेहद आभार,आपका आशीष मुझ पर यूंही बना रहे।
वाह आदरणीय नीरज पाण्डेय जी साधुवाद, जितनी तारीफ की जाय कम है महानुभाव…….वाह
मैं तारीफ नहीं आपका आशीष चाहता हूं, आपके स्नेह को बेहद आभार।
सादर धन्यवाद नीरज पाण्डेय जी