जय भारत माता की
भारत मेरी पहचान है, मेरी आन है, मेरी शान है
मिलजुल सदा हमसब रहें, सुर से मिला सुर को कहें
जय भारत माता की, जय भारत माता की – २
देश ये प्यार का, गीत का, रीत का
खुशबुओं से भरा, गूँजते संगीत का
वीरता है भरी, सिर उठा के जिए
पापियों को मिटाकर लहू उनका पिए
इसको रखें आजाद हम, मिलकर करें आबाद हम
मिलजुल सदा हमसब रहें, सुर से मिला सुर को कहें
जय भारत माता की, जय भारत माता की – २
बढ़ चले हैं कदम, छू रहे हैं गगन
चाँदतक बज रही देशधुन सनसनन
राह फिर हम दिखाने लगे विश्व को
खुद सजाएँगे हम वर्तमान-भविष्य को
मन में अटल विश्वास है, रग-रग भरा उल्लास है
मिलजुल सदा हमसब रहें, सुर से मिला सुर को कहें
जय भारत माता की, जय भारत माता की – २
बेहतरीन लेखन। साधुवाद।
हार्दिक आभार
प्रिय अजितेंदु जी, आपका भाव पक्ष बहुत सुन्दर है. तुकांत कविता के रूप में इसे लिया जा सकता है, पर आप के जैसे सिद्धहस्त माहिर कवि के स्तर से देखें तो कुछ और लालित्य की संभावना थी. मैंने आप जैसे लोगों की प्रतिभा को देखा है, समझा है, जाना है, बल्कि आपसे बहुत कुछ सीखा भी है…उम्मीद है इसे सकारात्मक ही लेंगे.
बहुत-बहुत आभार सर…ये गीत एक बच्ची को प्रैक्टिस कराने के लिए लिखा पैरोडी में सो उसी तरह का लिखने की कोशिश की जिससे वो आसानी से गा सके… 🙂
जय हिन्द
बहुत खूब
बहुत-बहुत आभार
बहुत सुंदर राष्ट्रीय गीत ! भारत माता की जय !
हृदय से आभार सर
सुन्दर बहुत सुन्दर भाव, राष्ट्र सम्मान का भाव प्रधानित रचना, आदरणीय
सादर आभार