बाट
नीर भरी इन आँखों से
देखती रहती तेरी बाट
जब – जब आती तेरी याद
खटकता रहता जीवन बेकार
अमावस्या की रात जैसी
काली घटा घनघोर जैसी
हो गई है जिंदगी हमारी
कुछ पल के लिए भी
तु आ जाती मेरे पास
अपनी कमी पूरा कर
जीवन में भर देती ख़ुशियाँ हजार!
……निवेदिता चतुर्वेदी ……
विरह वेदना स्पष्ट रूप से
प्रदर्शित करने में सफल..
आभार
वाह वाह !
जीवन में खुशियाँ हजार……सुन्दर रचना सम्माननीया निवेदिता जी……