सावन
सावन मौसम है सुहाना ,
खेत खलिहान मे झुमे धाना ,
चारो तरफ हरियाली देख ,
मन प्रफुल्लीत होता अपना ,
इस मौसम मे आते है याद ,
सब अपने नए पुराने ,
सावन मे झुलो के साथ ,
करते रहते मस्ती हजार ,
संगी – साथी सबके सब ,
अपने मस्ती मे रंगा रंग ,
पेड की झुकी डाली से ,
खिले फूल की कलियो से ,
प्रकृती को सुसज्जीत करती ,
ये है प्यारी सावन हमारी !
@निवेदिता चतुर्वेदी
आपकी रचना ने सावन का
एक मनमोहक रूप प्रस्तुत किया है..
आभार
बढ़िया कविता !
वाह बहुत खूब आदरणीया निवेदिता चतुर्वेदी जी, सावन की रिमझिम फुहार……
सावन के अंधे को सब तरफ हरा हरा दिखता है
?
उम्दा रचना
सावन का नहीं आदरणीया, भादो का अँधा, हरियाली ही देखता है वह भी बैसाख में…….
कहावत में सावन ही है! वैसे हरियाली तो पूरे साल होती है।