दोहे
टूट गयीं सड़के सभी टूट गया विश्वास ।
बिजली दुर्लभ हो गयी टूटी सारी आस ।।
यह समाज का वाद है या फिर है अपवाद ।
नेता -जनता मध्य से लुप्त हुआ सम्वाद ।।
पिछडो की माला जपे लेते पिछड़ा वोट ।
एक जाति यादव भली बाकी में है खोट ।।
न्यायालय आदेश का पालन करे न कोय ।
मापदण्ड बस एक है पद पर यादव होय।।
रक्षक ही भक्षक बने लुटता यहां प्रदेश ।
घूसखोर नेता मिले बदल बदल के भेष ।।
महिलाओं पर क्रूरतम इनका सदा विचार ।
फ़ूला फलता राज में इनके है व्यभिचार ।।
अवसरवादी हो गयी उनकी अब पहचान।
रोज टूटकर गिर रहा मुस्लिम का अभिमान।।
गुंडों की भरमार है चौराहों पर आज ।
इज्जत राखें राम जी उनका आया राज ।।
-नवीन