मुक्तक/दोहा

दोहे

टूट गयीं सड़के सभी टूट गया विश्वास ।
बिजली दुर्लभ हो गयी टूटी सारी आस ।।

यह समाज का वाद है या फिर है अपवाद ।
नेता -जनता मध्य से लुप्त हुआ सम्वाद ।।

पिछडो की माला जपे लेते पिछड़ा वोट ।
एक जाति यादव भली बाकी में है खोट ।।

न्यायालय आदेश का पालन करे न कोय ।
मापदण्ड बस एक है पद पर यादव होय।।

रक्षक ही भक्षक बने लुटता यहां प्रदेश ।
घूसखोर नेता मिले बदल बदल के भेष ।।

महिलाओं पर क्रूरतम इनका सदा विचार ।
फ़ूला फलता राज में इनके है व्यभिचार ।।

अवसरवादी हो गयी उनकी अब पहचान।
रोज टूटकर गिर रहा मुस्लिम का अभिमान।।

गुंडों की भरमार है चौराहों पर आज ।
इज्जत राखें राम जी उनका आया राज ।।

-नवीन

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]