दो मुक्तक
शिक्षा ही हमारा सबसे प्यारा श्रृंगार हो
दुर्गा का आदर्श और सीता का संस्कार हो
हम अपने भाग्य का खुद बनें भाग्य-विधाता
पत्थर दिल में भी बस जाएँ ऐसा व्यवहार हो
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सबसे बड़ी सम्पत्ति है अपने पास का ज्ञान
हर परिस्थिति का ये देता है समाधान
दरिद्रता जीवन की सबसे बड़ी सजा है
सिने में चुभाती हर पल हीनता का बाण
– दीपिका कुमारी दीप्ति