मुक्तक
जहाँ देना ज़रूरी है वहीं अक्सर नहीं देता
कहीं कारूं ख़ज़ाना है कहीं तिल भर नहीं देता
तेरी रहमत खुदा मुफ़लिस की तो हालत यही देखी
कभी रोटी नहीं देता कभी बिस्तर नहीं देता
— पूनम पांडेय
जहाँ देना ज़रूरी है वहीं अक्सर नहीं देता
कहीं कारूं ख़ज़ाना है कहीं तिल भर नहीं देता
तेरी रहमत खुदा मुफ़लिस की तो हालत यही देखी
कभी रोटी नहीं देता कभी बिस्तर नहीं देता
— पूनम पांडेय