आज जो ये आज है
आज, जो ये आज है
कल नहीं रह जाएगा।
बारिश के बादलों सा
कुछ बरसेगा
कुछ रह जाएगा॥हर बात
हर हस्ती
हर बस्ती
ख़ाक में मिल जाएगी।
कल नहीं रह जाएगा।
बारिश के बादलों सा
कुछ बरसेगा
कुछ रह जाएगा॥हर बात
हर हस्ती
हर बस्ती
ख़ाक में मिल जाएगी।
फितरत आदमी की
कहाँ-कहाँ ले जाएगी।
भाषा, परिभाषा
और नियमों का क्या?
कुछ नहीं रह जाएगा
बाकी अगर रहा कहीं तो
बाकी अगर रहा कहीं तो
मिथक बस कहलाएगा॥ना तुम होगे, ना रहूंगा मैं
प्रेम अमर
प्रेम अमर
बस रह जाएगा॥
ये आज जो आज है
कल अतीत बन जाएगा॥
कल अतीत बन जाएगा॥
बहुत खूब श्री आरजीव उपाध्याय जी, आज, आज नहीं रह जायेगा……क्या बात है……
बहुत-बहुत धन्यवाद मिश्रा जी प्रोत्साहन हेतु।