प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 34 वर्षों के बाद संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करके देश के अपने धुर विरोधी राजनैतिक दलोें को चौंकाने का प्रयास किया है। जब मीडिया में यह खबर आई थी कि पीएम मोदी यूएई की दो दिवसीय यात्रा पर जाने वाले हैं तो किसी को उस पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। कांग्रेस सहित सभी दल उनकी इस यात्रा को सेकुलर चश्मे से देखने लग गये। सबसे पहले दिग्विजय सिंह और ओवैसी ने अपनी टिप्पणियां कर दीं। टी वी मीडिया पर जोरदार बहस शुरू हो गयी। कोई कहने लगा कि जो व्यक्ति मुस्लिम टोपी नहीं पहन सकता और रोजा इफ्तार में नहीं जा सकता व वहां पर मस्जिद जा रहे हैं। किसी ने कहा कि वह मस्जिद में जा रहे हैं तो कहीं उनका संघ परिवार वैसा ही हाल तो नहीं करेगा जैसा कि पूर्व में लालकृष्ण आडवाणी जब पाकिस्तान में जिन्ना की मजार में चले गये थे ।
किसी ने बहस में मांग कर डाली कि पीएम मोदी यूएई की मस्जिद में जा रहे हैं तो उन्हें भारत में बनीं तमाम ऐतिहासिक मस्जिदों में भी जाना चाहिए।एक मुस्लिम धर्मगुरू ने मांग करी कि देश में 182 मस्जिदें बंद पड़ी हैं तथा उनका बड़ा बुरा हाल है पीएम मोदी उन सभी मस्जिदों के लिए कुछ करें। एक ने कहा कि 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या घटना के जिम्मेदार लोग यूएइ में मस्जिद जा रहे हैं काफी सुखद व आश्चर्यजनक लग रहा है साथ ही गुजरात दंगे भी उन्हीं के राज में हुए थे कहीं पीएम के साथ मस्जिद में दुव्यर्वहार न हो जाये। जितने मुंह उतनी बातें। लेकिन किसी को भी पीएम मोदी के यूएई दौरे की सच्चाई और गहराई का पता नहीं था। बहुत से लोगों ने पीएम मोदी के दौरे को बिहार और केरल विधानसभाओं के चुनावी समीकरणों से भी जोड़ा। दर्द तो जम्मू – कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अदुल्ला को भी हुआ उन्होनें कहा कि मोदी जी का मस्जिद जाना तो टेराकोटा पर्यटक स्थल जाने जैसा है।
यह बहुत ही कम लोगों को पता था कि यूएई की आबादी मात्र 94 लाख और यूएई की साक्षरता दर 88 प्रतिशत है। वहां पर 94 लाख में से लगभग 26 लाख लोग तो केवल भारत और भारतीय समुदाय के हैं तथा वहां का अर्थतंत्र और तकनीकी संचालन में भारतीय कामगारों का बहुत बड़ा हाथ है। वहां पर केरल और बिहार ही नहीे दक्षिण भारत के अधिकांश परिवार व उनके सदस्य निवास करते हैं और हर सप्ताह भारत में बसे अपने परिवार के लोगों को कमा कर मनीआर्डर आदि भेजा करते हैं। विगत 34 वर्षों से भारत में ऐसी सरकारें आयीं जिन्होंने यूएई में बसे भारतीयों पर कोई ध्यान नहीं दिया यानी कि कोई तवज्जो नहीं दी। आज पीएम मोदी ने वह कमाल कर दिखाया है।
सेकुलर दलों को वहां पर दुबई क्रिकेट स्टेडियम में मोदी के प्रति लोगों की दीवानगी देखकर आश्चर्य हो रहा था। शेख जायद मस्जिद में भी मोदी- मोदी के नारे की गूंज सुनाई दी तो स्मार्ट सिटी मसदर में उद्योगपतियों के बीच में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। यह पीएम मोदी का ही कमाल था कि संयुक्त अरब अमीरात ने अबूधाबी में भारतीय समुदाय को मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित करने का निर्णय किया है। दुबई में दो मंदिर हैं लेकिन अभी अबुधाबी में एक भी मंदिर नहीं है। अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी वाकई यूएई में छा गये थे। “खलीज टाइम्स” को दिये साक्षात्कार में उन्होनें यूएई को ”मिनी इंडिया“ बताया।
वास्तव में पीएम मोदी की यात्रा का असली उददेश्य था भारत के मोस्ट वांटेंड अपराधी दाऊद इब्राहीम की सपत्ति को सील करवाना और वहां पर उसके ठिकाने को पूरी तरह से बंद करवाना। साथ ही निवेश और व्यापार को बढ़ाना तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के नजरिये को पेश करना और संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थायी सदस्यता के लिए अरब देशों का समर्थन हासिल करना जिसमें पीएम मोदी सफल भी हो गये हैं। जिस प्रकार से भारत- पाक सीमा पर तनाव बरकरार है और तनातनी के बीच भविष्य में यदि युद्ध आदि की कोई संभावना बनती है तो उससे पूर्व यूएई आदि को साधना भी होगा। यही कारण रहा कि पीएम मोदी ने अरब देश की जमीन से आतंक का पालन पोषण करने वाले लोगों को बिलकुल साफ संकेत दे दिया है।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह भी रही कि पीएम मोदी के दुबई क्रिकेट स्टेडियम में उनके भाषण को सुनने के लिए अमीरात के प्रिंस क्राउन अपने पांच भाईयों के साथ उपस्थित थे तथा पीएम मोदी ने पांच बार उनका लोगों से हाथ उठवाकर अभिवादन करवाया। पीएम मोदी का पूरा भाषण बहुत ही सारगर्भित और ओजस्वी था। चाहे जो हो पीएम मोदी की सफल यात्रा से सेकुलर दलों के कान तो खडे हो ही गये हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित