नज़र से नज़र की बात
नज़र ने तेरे
नज़र से मेरे
नज़र की बात की थी
पल दो पल की नहीं
सदियों से लम्बी बड़ी………
मुलाकात की थी।
बंदिशें……
थीं जो दरम्याँ कुछ
नज़रों में ही टूट गईं
पर इतेफ़ाक़
ये भी कुछ अज़ीब था,
कि बात सारी
जो भी हुई
नज़रों में ही छूट गई।
थीं जो दरम्याँ कुछ
नज़रों में ही टूट गईं
पर इतेफ़ाक़
ये भी कुछ अज़ीब था,
कि बात सारी
जो भी हुई
नज़रों में ही छूट गई।
वाह वाह !
बहुत-बहुत धन्यवाद सिंघल साहेब
वाह
धन्यवाद