पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
सपने वह नही जो आप नीद में देखते है, यह तो एक ऐसी चीज़ है जो आपको नीद ही नही आने देती।
-पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
सपनो की बात करने वाले पुर्व राष्ट्रपति और महान विज्ञानिक डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अब खुद ही करोडो देशवासियों के सपने बन गए है। वह अब हमारे बीच नही रहे। 27 जुलाई को उनके निधन के बाद, जहां एक तरफ पूरा देश रोया, तो दूसरी ओर, वह यादो में अमर हो रहे थे। चाहे आम जनता हो, या देश के प्रधानमंत्री सबकी आँखो में आंशू रूकने का नाम नही ले रहे। डा. कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। राजनीतिक स्तर पर उनकी की चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्याद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत थी।
डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति थे। यह पहले गैर-राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति रहे। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ। इनके पिता जैनुलाब्दीन एक कम पढ़े-लिखे और गरीब नागरिक थे। वह नियमों के पक्के और उदार स्वभाव के इंसान थे जो दिन में चार वक्त की नमाज भी पढ़ते थे। अब्दुल कलाम के पिता अपनी नाव मछुआरों को देकर घर का गुजारा चलाते थे। अब्दुल कलाम को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए घरों में अखबार डालने का कार्य करना पड़ा। ए.पी.जे अब्दुल कलाम एक बड़े परिवार में रहते थे। उनके परिवार के सदस्यों की संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह स्वयं पांच भाई एवं पांच बहन थे। घर में तीन परिवार भी रहा करते थे। ए.पी.जे अब्दुल कलाम का विद्यार्थी जीवन बहुत कठिनाइयों भरा बीता. जब वह आठ-नौ वर्ष के रहे होंगे, तभी से उन्होंने अखबार वितरण करने का कार्य शुरू कर दिया था।
सन 1962 में ए.पी.जे अब्दुल कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ गए। इसके बाद से ही उन्होंने अपनी सफलता की कहानी गढ़नी शुरू कर दी। डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा विकास विभाग के सचिव रहे। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। ए.पी.जे अब्दुल कलाम को बी.जे.पी. और उसके घटक दलों ने राष्ट्रपति के चुनाव के समय अपना उम्मीदवार बनाया। 18 जुलाई, 2002 को डॉ. कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था।
डॉ. कलाम ने ना सिर्फ विज्ञान में बल्कि साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में बसाया है। इण्डिया 2020, ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी तथा इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया, इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। डॉ. कलाम 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हो चुकी थी। इन सब के बाद डा.कलाम को भारत सरकार से पद्म भूषण, पद्म विभूषण, का सम्मान प्रदान है, जो उनको इसरो और डी.आर.डी.ओ. में कार्यों के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिये दिए गए।
डा. अब्दुल कलाम भारत के चमकते हुए तारे थे जो अब नही रहे। लेकिन उनके विचार अब करोड़ो लोगो को चमकाने में मदद करेंगे। डा. कलाम ने अपने शारीर जरूर छोडा है लेकिन वह हर भारत वासी के दिल से कभी नही निकल पाएगें।
— मनोज सिंह