कविता

इंसान निकल पड़ा है..

कलयुग का ये कैसा काल चक्र चल पड़ा है….
एक दूसरे का जान लेने के लिए इंसान निकल पड़ा है…

हर कोई यहाँ दूसरे को निचे कर के खुद को ऊपर उठाना चहता है
मिलते ही मौका मार गिरना चाहता है..

हर कोई चाहता है की मेरा छत हो सबके छतो से उच्चा
चाहे इसके लिए हमे कितना भी गिरना पड़े निचा

मुझे बस एक बात बता दो ये लोभी इंसानो
इस दुनिया में कौन क्या ले कर आया है और क्या लेकर गया है इतना बता दो..?

ये दुनिया नस्वर है यहाँ का हर एक वस्तु एक दिन नष्ट हो जाए गा
यहाँ ना कोई कुछ लेकर आया ना ही कुछ ले कर जाएगा

पैसे कमा के की तुम ऊपर जरूर जा सकते है
मगर
सच ये भी है की तुम पैसे को ऊपर नहीं ले जा सकते हो,

अब बंद भी कर दो ये एक दूसरे का खून पीना
और खालो कसम की अगर अब जीना तो हैवान नहीं इंसान बन कर जीना..

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी [email protected] [email protected] Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1