क्या तू मुझे बना गयी
क्या था मैं क्या तू मुझे बना गयी तेरी यादे तेरे वादे और तू ही मुझे रुला गयी,
खुली किताब था क्या मुझ को तू बना गयी मोहब्बत से तू अपनी मुझे मुजरिम बना गयी,
तेरे वादे तेरे इरादे तू मुझ को बता गयी अच्छे खासे इन्सान को आशिक बना गयी,
जा ख़ुश रह मेरी जान तू मुझ को रुला गयी क्या मिलता है आशकी मैं तू मुझ को समझा गयी