लघुकथा – पारिभाषिक पेटेंट
लघुकथा – पारिभाषिक पेटेंट
“ जनता का , जनता द्वारा, जनता पर शासन- अब्राहिम लिंकन.”
“ शाबाश बेटा.” शिक्षक के आँखों में चमक आ गई, “ अब कौन बताएगा ?”
“ सर ! मैं बताऊँ ?”
“ अरे ! तू बताएगा. कभी स्कूल समय से आया नहीं. प्रश्नोत्तर लिखे नहीं. रोज कामधंधे पर जाता है. तू क्या जानता है इस बारे में. चल तू भी बता दे ?”
“ सर ! हमारे द्वारा, हम पर शासन.”
यह सुन कर शिक्षक को एकलव्य और गुरु द्रोण याद आ गए , “ ओह ! यह तो प्रजातंत्र पर मेरी पारिभाषिक खोज हो सकती है.”
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१६/०८/२०१५