मुक्तक/दोहा

चंद शेर

✒स्याही की भी मंज़िल का अंदाज़ देखिये :

खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है—!
जब कोई बिखेरता है, तो अलफ़ाज़…बनाती है—!!

बैठा हूँ गर मैखाने में…,मुझे शराबी ना समझो…,
हर वो शख्श जो मंदिर से निकलता है,पुजारी नहीँ होता.

कोई बताये के मैं इसका क्या इलाज करूँ,
परेशां करता है ये दिल धड़क धड़क के मुझे।।

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी [email protected] [email protected] Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1