गीत/नवगीत

गीत : भुला तो न देना

कहीं प्यार अपना भुला तो न देना
निगाहों से अपने गिरा तो न देना ||

चिंता हमारी पर है मंजिल तुम्हारी
सोचती हूँ जीया में ये कैसी बीमारी
पल पल जिलाकर रुला तो न देना
चित सपने सजाकर मिटा तो न देना ||

बहुत चाह है मेरे अरमान मन में
तडफी हूँ जन्मों-जनम इस लगन में
इस बार हमकों दगा तो न देना
लगा लों गले हस जफा तो न देना ||

इतबार करती हूँ हर आदमी पर
डरकर गुनाहों से जीया जमीं पर
महफ़िल सजाकर हटा तो न देना
नई राह हमकों दिखा तो न देना ||

चमक मेरी आँखों की देखों जरा
हरियाली छाई है इस जीवन धरा
इसमेँ समाकर गिला तो न देना
अंकुर उगाकर सुखा तो न देना ||

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on “गीत : भुला तो न देना

  • विजय कुमार सिंघल

    बढिया। यह कविता आपने अपनी ओर से लिखी है या किसी महिला की ओर से ?

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय कुमार सिंघल जी, हा हा हा हा हा नायिका तो एक महिला ही है…….

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