लिफाफे में गुलाब
मेरे चिठ्ठी का आज जबाब आया है
लिफाफे में भर कर गुलाब आया है
जो नजर थी कभी मुझसे चुराती रही,
आज जाने कैसे वो गली में बेनकाब आ गयी..?
दिल के धड़कन में मैंने उनको बसाया था,
मन के मंदिर में कुछ सपने सजाया था,
सबके सामने मैंने उनको अपना बताया था,
शायद पहली बार उसी वक़्त उनकी जुबा पर मेरा नाम आया था,
आज खुशिया खुद चल कर मेरे पास आया है,
लिफाफे में भर कर गुलाब आया है,
वो अपने दिल की बात न मुझसे बताई कभी,
पता चला आज की प्यार वो अपने दिल में सजाती रही,
सुन के ऐसा लगा मुझको की कोई ख़्वाब आया है,
लिफाफे में भर कर गुलाब आया है,
बात सच है यही किसी ने सच ही लिखा,
मिलता उसको वही जो नसीब में लिखा,
अखिलेश के मुस्कुराने का आज पैगाम आ गया,
लिफाफे में भर के गुलाब आ गया.