‘रक्षा-सुत्र’
सूत के धागों को ही रंग कर आज के इस पावन पर्व के लिये रक्षा-सुत्र निर्मित किया जाता है | ये सूत का धागा बेशक कितना ही कच्चा क्यों ना हो पर बहना के स्नेह बंधन में बंधकर ये इतना मजबूत हो जाता है कि चाहे कोई लाख प्रयत्न करे तो भी इसे तोड नही सकता | ऐसा होता है भाई-बहन का प्यारा बंधन | आज रक्षा-बंधन के दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सुत्र बांध कर अपने भाई के लिये मंगल दुआएं मांगती है और भाई भी हमेशा अपने बहन का साथ निभाने का वचन दे अपना दुलार व उपहार देता है | बडा ही प्यारा, पावन व अनमोल रिश्ता है ये |
रक्षा-बंधन है भाई बहन का त्यौहार
रक्षा के सुत्र में अपना स्नेह अपार
बाँधती है बहन, भाई की कलाई पर
भाई भी लेकर बहना का नेह-दुलार
सहर्ष बाँध रक्षासुत्र को करता स्वीकार
‘सदा रक्षा करुँगा’ वचन ले देता उपहार
चाहे कितने कच्चे हों ये धागे