कविता

‘रक्षा-सुत्र’

सूत के धागों को ही रंग कर आज के इस पावन पर्व के लिये रक्षा-सुत्र निर्मित किया जाता है | ये सूत का धागा बेशक कितना ही कच्चा क्यों ना हो पर बहना के स्नेह बंधन में बंधकर ये इतना मजबूत हो जाता है कि चाहे कोई लाख प्रयत्न करे तो भी इसे तोड नही सकता | ऐसा होता है भाई-बहन का प्यारा बंधन | आज रक्षा-बंधन के दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सुत्र बांध कर अपने भाई के लिये मंगल दुआएं मांगती है और भाई भी हमेशा अपने बहन का साथ निभाने का वचन दे अपना दुलार व उपहार देता है | बडा ही प्यारा, पावन व अनमोल रिश्ता है ये |

आप सभी भाईयो-बहनों व मित्रजनों को रक्षा-बंधन की हार्दिक शुभ-मंगलकामनाएं | आप सभी भाई-बहनों में आपसी स्नेह प्यार बना रहे | आज के पावन पर्व के लिये कुछ पंक्तियाँ अपने प्यारे भाईयो-बहनों व मित्रों को समर्पित |

‘रक्षा-सुत्र’
……………………………………….

रक्षा-बंधन है भाई बहन का त्यौहार 

रक्षा के सुत्र में अपना स्नेह अपार

बाँधती है बहन, भाई की कलाई पर

भाई भी लेकर बहना का नेह-दुलार

सहर्ष बाँध रक्षासुत्र को करता स्वीकार

‘सदा रक्षा करुँगा’ वचन ले देता उपहार

चाहे कितने कच्चे हों ये धागे

पर बंध स्नेह के भावों में
बहन की मंगल दुआओं में
भाई की मजबूत बाँहों को
पाकर सुरक्षित पनाहों को
पा जाते मजबूती अपार
राखी के कच्चे धागों में समाहित 
स्नेह का नही है कोई भी मोल
भाई बहन का प्यार तो है अनमोल
—- शशि शर्मा ‘खुशी’

शशि शर्मा 'ख़ुशी'

नाम- शशि शर्मा 'खुशी'...जन्मतारीख - 6/6/1970 .... जन्म स्थान- सिलारपुर (हरियाणा) व्यवसाय - हाऊसवाईफ मूल निवास स्थान हनुमानगढ (राजस्थान) है | पतिदेव श्री अरूण शर्मा, की जॉब ट्रांसफरेबल है सो स्थान बदलता रहता है | पढने का बेहद शौक है,,,, अब लेखन भी शुरू कर दिया है | कुछ विविध पत्र-पत्रिकाओं में मेरी कवितायें प्रकाशित हो चुकी हैं |