गीतिका/ग़ज़ल

मौत बना दोस्त…

जिंदगी में जाने ये कैसा गम का हवा चला है,
मौत मेरा दोस्त बनने आज खुद ही निकल पड़ा है,
हर एक ख्वाब टूट चूका है मेरा एक एक कर के,
मुझसे नाराज मेरे जिंदगी का हर एक खुशि हो गया,
मौत मेरा दोस्त बनने आज खुद ही निकल पड़ा है,

जानता तो मैं भी नहीं था की अपनी मंजिल भूल जाऊँगा,
कलम छोड़ एक दिन हाथो में पिस्तौल उठाऊंगा,
अरमान टूटेगा एक पल में सारा मेरे मन का,
आँख दोनो मेरें गम का आज नदी हो गया है,
मौत मेरा दोस्त बनने आज खुद ही निकल पड़ा है,

अब ना कोई रंग बचा चढा मुझ पर जबसे लाल रंग है,
जिंदगी हुई है ऐसी जैसे बिना डोर की पतंग है,
फूल बन गया हु में एक उजड़े हुए चमन का,
अपना भी इस वक़्त मेरा परया बन गया है,
मौत मेरा दोस्त बनने आज खुद ही निकल पड़ा है.

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी [email protected] [email protected] Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1