कविता

दर्द-ए-दिल का एहसास

..एक सपना है अब अधूरा सा – एक टूटी सी आस है शायद..

..टूटी है आरज़ू – आइनें की तरह – “राज” गमे-इश्क़ में डूबा सा है..

..जब हर हसीन मंज़र आँखों से छिन  गया हो..
..ये भी कोई सफ़र है – या कोई बद्दुआ है..

..जिंदगी में रंग नहीं बिन आपके, रखो कदम और इसे सजाने लगो..
..चाहा भी तो बस उसे हमने मुझसे नहीं जिसे प्रीत है..

..गम आसूं सब कुछ पी लिया..
..नहीं पी पाया तो खुद के मन के गम को..
….आखिर क्यूँ ?

..ग़र मन की गंगा सूख गयी फिर वो कहाँ बहती है..
..मौसम के नज़ारे, दिन-रैन ये सारे हर पल यही सिखाते हैं…
..जाने वाले कब वापस आते हैं..?

राज मालपाणी ’राज’

नाम : राज मालपाणी जन्म : २५ / ०५ / १९७३ वृत्ति : व्यवसाय (टेक्स्टायल) मूल निवास : जोधपुर (राजस्थान) वर्तमान निवास : मालपाणी हाउस जैलाल स्ट्रीट,५-१-७३,शोरापुर-५८५२२४ यादगिरी ज़िल्हा ( कर्नाटक ) रूचि : पढ़ना, लिखना, गाने सुनना ईमेल : [email protected] मोबाइल : 8792 143 143