वो भी तडपते तो होंगे
इधर हम और उधर वो भी
तड़पते तो होंगे
बिन बोले बिन बात किये
अगर इक आंसू उधर
तो दो आंसू उधर भी
टपकते तो होंगे
माना की मुमकिन नही
इक दूजे बिन रहना
मिलने की चाह में
दर्द भरे अरमान
उमड़ते तो होंगे
जब भी चलती होगी
ठंडी हवा तन्हाईयों में
साँसों में महसूस करके
एक दूसरे के लिए
मचलते तो होंगे
जाने कब मुलाक़ात होगी
होगी भी या नही होगी
गर जान जाती है
यह बात सोच सोच कर मेरी
तो कम से कम दम तो उनके भी
घुटते तो होंगे
इधर हम तो उधर वो भी
तड़पते तो होंगे
वाह वाह ,बहुत खूब .