सामाजिक

जैन समाज का पर्युषण पर्व

आज जैन समाज के पर्युषण पर्व की समाप्ति पर “क्षमा-वाणी” (मिच्छामि – दुक्कड़म्) का पर्व मनाया जाता है। स्वयं को क्षमा करना सबसे बड़ी व पहली क्षमा है। माफी से माफ करने वाला भी हलका होता है। उसे लगता है जैसे क्षमा करने से उसके सिर से बोझ उतर गया है। क्षमा करने में दूसरा व्यक्ति इतना महत्वपूर्ण नहीं है। क्षमा आप अपने से प्रारम्भ करें व सबको क्षमाकरें।

क्षमा माँगना सरलता है, क्षमा करना बड़प्पन है। वैसे ये दोनों जूदा नहीं है, एक दूसरे से जुड़ें है। किसी नें ठीक ही कहा है कि —- “दुश्मन के लिए भट्टी इतनी गरम न करें कि आप भी उसमें जलने लगें।”

उत्तम क्षमा

सबको क्षमा

सबसे क्षमा

राज मालपाणी ’राज’

नाम : राज मालपाणी जन्म : २५ / ०५ / १९७३ वृत्ति : व्यवसाय (टेक्स्टायल) मूल निवास : जोधपुर (राजस्थान) वर्तमान निवास : मालपाणी हाउस जैलाल स्ट्रीट,५-१-७३,शोरापुर-५८५२२४ यादगिरी ज़िल्हा ( कर्नाटक ) रूचि : पढ़ना, लिखना, गाने सुनना ईमेल : [email protected] मोबाइल : 8792 143 143

One thought on “जैन समाज का पर्युषण पर्व

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    क्षमा करें कहना कठिन होता है लेकिन हिम्मत की भी बात होती है
    सुंदर बात

Comments are closed.