प्रेम पर लिखना आसान नहीं
प्रेम पर लिखना आसान नहीं
मन को कुरेदना होताहै
वही लिखना है
जो सोचते हो
पर शब्द नहीं मिलते है
लिखी बातों में
सिर्फ़ ज़िक्र किया जाता है
प्रेम में लिखा क्या जायें
जब नाम प्रेमी का लिखो
फ़िर इश्क हो जाता है
उसी इश्क से जिस पर
लिखने का मन होताहै
फ़िर वही ख़्यालो की दुनिया
वो मदहोश दुनिया
दर्द से लिखना
और दर्द पर लिखना
इश्क से बेहतर है
सुकून रूह को
इसी में जब
दर्द हो रूह में
फ़िर आह निकलती है
हर शब्द में
फ़िर रचती है रचना
देखो फ़िर सुनने वालों से
निकलें कितने वाह
आह से वाह
तक का सफर है नहीं आसान
प्रेम पर लिखना नहीं आसान
— अंजलि शर्मा “अंजुमन”