हाइकु-दोहे
(1)
प्यासी धरती/ खग दुखित रोते/ बढ़ती भूख।
मिटते प्राणी/ है चकित नाहर/ घटा रसूख॥
(2)
गिरे सितारे/ घट गई रौनक/ नभ बेहाल।
छाते बादल/ सुधाकर शंकित/ तम की चाल॥
(3)
घिरा अँधेरा/ डर नहीं मनुज/ जला ले दीप।
छले न जाना/ ध्यान से पग धर/ लक्ष्य समीप॥
(4)
सावन आया/ खिल उठी बगिया/ मस्त मयूर।
जगी उमंगें/ प्रीत की रिमझिम/ चढ़ा सुरूर॥
(5)
हाय गरीबी/ नोंचती तन-मन/ करे हताश।
जला न चूल्हा/ रो पड़े बरतन/ बुझती आस॥
बहुत सुंदर
सुंदर
हार्दिक आभार मैम