गजल
तिरे नाम खुशियों का गाँव लिख दूँ
सर पर आँचल की छाँव लिख दूँ
हर पग आलोकित हो कर्म पथ तेरा
सारी दुआयें मैं तिरे नाम लिख दूँ
फूलों सा महकता दिन हो तिरा
खुशनुमा रोशन हर शाम लिख दूँ
तिरे नाम से हो रोशन नाम मिरा
आफ़ताब तिरा अब मैं नाम लिख दूँ
बनकर दीपक कर रोशन जहाँ
“आशा”उम्र अब तिरे नाम लिख दूँ
— राधा श्रोत्रीय “आशा”
great
umda 🙂
बहुत सुन्दर भाव !
वाह..