उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-17: हाॅल में भूत

पार्टी के बीच रेनुका बाथरूम में चली गयी सिद्धार्थ उसे देखकर उसे पीछे गया और बाथरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया फिर समीर को भी बता दिया पार्टी खत्म हो गयी सभी लोग अपने रूम में जाने लगे और समीर के दोस्त भूत बाले कसटयूम पहन कर हाॅल में छुप गये।अब समीर ने बाथरूम के पास जाकर देखा तो रेनुका दरवाजे को धक्का मार रही थी

समीर जोर से भूत-भूत बोलने लगा रेनुका बोली अरे मैं रेनुका हूॅ कोई भूत नहीं किसी ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है खोलो जल्दी समीर ने कहा क्या तुम सच में रेनुका हो रेनुका बोली हाॅ बाबा अब जल्दी खोलो दरवाजा।समीर ने दरवाजा खोला रेनुका बाहर निकली तो देखा सब लोग जा चुके थे वो अकेले ही रह गयी थी।

रेनुका अपने रूम की तरफ जाने लगी फिर एकदम से मुड़कर समीर की तरफ देखा और बोली क्या तुम मुझे मेरे मेरे हाॅसटल औक छोड़ सकते हो मेरे सारे दोस्त जा चुके है समीर बोला न बाबा न मुझे अंधेरे में बहुत डर लगता है और अगर तुम साथ हो तब तो मै बिल्कुल रूम से बाहर न निकलू फिर रेनुका बोली तुम सब लड़के एक जैसे ही होते हो और रेनुका अकेले ही चले गयी ।

रेनुका अभी कुछ दूर ही पहुँची थी कि उसे अजीब-अजीब आवाजें सुनायी देने लगीं।फिर उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था फिर बो जैसे ही आगे मुड़ी डर के मारे उसकी चीख निकल गयी उसके सामने एक ऐसा आदमी खड़ा था जिसने कमर और सिर के बीच कुछ नहीं था मानो उसका सिर हवा में टंगा हो वो वहां से दौड़ कर भागी

तभी उसे हाॅल में लाइट नजर आयी और प्रिंसिपल की आवाज सुनाई दी वह दौड़ कर हाॅल की तरफ भागी और हाॅल में गयी पर वहां कोई नहीं था तभी लाइट बंद हो गयी रेनुका जैसे ही वहां से बापस भागी तभी अचानक दरवाजा अपने आप बंद हो गया।रेनुका को एक चेयर हिलने की आवाज आ रही थी उसने मुड़कर देखा तो एक आदमी दिखा और अचानक गायब हो गया रेनुका की डर के मारे बहुत बुरी हालत हो गयी थी।

तभी चेयर पर फिर एक आदमी दिखा और उसने कहा रेनुका मेरे पास आओ रेनुका पीछे मुड़ी अब आवाज उसके पीछे से आ रही थी धीरे-धीरे चारों-ओर से आवाजें आने लगीं रेनुका जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी मुझे छोड़ दो तभी अचानक वह आदमी रेनुका के बिल्कुल सामने था रेनुका जोर सा चीखी तथी सारी लाइट्स आॅन हो गयी और सब लोग उसके आसपास थे और हंस रहे थे।

पार्टी के सब लोगों को देखकर रेनुका हैरान थी तथी रेनुका समीर के पास गयी और उसे जोर का चाॅटा मारा और बोली तुम्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी समीर मल्होत्रा सब चुप हो गये और रेनुका वहां से चली गयी फिर धीरे-धीरे सब लोग चले गये समीर भी अपने दोस्तों के साथ उनके रूम में चले गया।

समीर अपने दोस्तों से कह रहा था यार हमने रेनुका के साथ अच्छा नहीं किया रवि बोला और वो अच्छा था जो उसने तेरे साथ किया उसने भी अच्छा नहीं किया पर आज कुछ ज्यादा ही हो गया तभी सूरज बोला चल अब ज्यादा मत सोच और सो जा चुपचाप और फिर सब सो गये।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी[email protected]

One thought on “अधूरी कहानी: अध्याय-17: हाॅल में भूत

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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