गजल
झूठ से दामन बचाया कीजिये
हर घड़ी बस मुस्कुराया कीजिये
भूल बैठे हो भले ही प्यार को
खत पुराने मत जलाया कीजिये
अपने ही घर को बनाने के लिए
झोंपड़ी को मत जलाया कीजिये
जख्म तो देते सभी अपने मगर
आप बस मरहम लगाया कीजिये
कीजिये मत , चार धामों को भले
बाप माँ को मत रुलाया कीजिये
याद गर करते नहीं हो ‘धर्म’ तुम
हर घड़ी बस याद आया कीजिये
— धर्म पाण्डेय
बहुत अच्छी ग़ज़ल !