वर्ण पिरामिड
1.री
बूंदे
भिगो दे
तप्त मन
बरस बीते
जलाती जाती सी
उन यादों की आग
- ये
मन
चंचल
बौराया सा
ढूंढे वो साथ
बरस पहले
छोङ गए जो हाथ
- मैं
तुम
दो छोर
ना मिलेंगे
ये एहसास
कैसा ये बंधन
फिर भी खींचे पास
- जा
दुआ
वापस
उसी द्वार
जहां से आई
कहना प्रस्तर
बना गई जुदाई
सुंदर
उम्दा अभिव्यक्ति