कविता

वर्ण पिरामिड

 

  1.री

    बूंदे

    भिगो दे

    तप्त मन

    बरस बीते

    जलाती जाती सी

    उन यादों की आग

  1. ये

मन

चंचल

बौराया सा

ढूंढे वो साथ

बरस पहले

छोङ गए जो हाथ

  1. मैं

तुम

दो छोर

ना मिलेंगे

ये एहसास

कैसा ये बंधन

फिर भी खींचे पास

  1. जा

दुआ

वापस

उसी द्वार

जहां से आई

कहना प्रस्तर

बना गई जुदाई

 

मीनू झा

शैक्षिक योग्यता स्नातक (अंग्रेजी) स्नातकोत्तर (एम.बी.ए) (वित्त व मार्केटिंग में विशेषज्ञता) लेखन-रूझान कई भाषण व वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में विजेता-उपविजेता तीन सालों से ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय संपर्क निवेदित कुमार झा,एम एच-309,सी आई एस एफ कॉलोनी,पानीपत रिफाईनरी के निकट,पानीपत,हरियाणा फोन नंबर 9034163857/9570473537

2 thoughts on “वर्ण पिरामिड

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

  • वैभव दुबे "विशेष"

    उम्दा अभिव्यक्ति

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