शहरों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में हादसे
गाड़ियां चलती तो शहरों में ज्यादा हैं, लेकिन हादसे ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। ऐसा लगता है कि दोनों के बीच वाई-फाई जैसा कनेक्शन हैं, इंटरनेट का प्रयोग शहरी लोग ज्यादा कर रहें हैं और डाटा पैक ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों का कट रहा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों में ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं। शहरों में जहां 46.3% सड़क हादसे हुए हैं, तो वहीँ ग्रामीण क्षेत्रों में 53.7% सड़क हादसे हुए हैं।
एक सोच यह निकल कर आती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन नियमों की जानकारी कम है या यह भी हो सकता है कि वहा के रास्ते खराब और छोटे है, लेकिन इन सब के बीच एक सच्चाई यह भी है की ख़राब और छोटे रास्तों पर तेज़ गति से गाड़ियां चलना भी सड़क दुर्घटना का कारण है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ना सिर्फ सड़क हादसे बल्कि मौतों का आकड़ा भी ज्यादा है. शहर में जहां लगभग 2 लाख हादसों में 56 हजार लोगों की मौतें हुई है, तो ग्रामीण इलाको में लगभग 2.5 लाख हादसों में 83 हजार लोगो की मौतें हुई है। इसकी वजह ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों, क्लिनिक, डॉक्टरों की संख्या कम होना है, जिसके कारण मौतों की संख्या में इजाफा हुआ है।
सभी राज्य की सरकारों को यह सोचना चाहिए की जितना ध्यान मीडिया में बने रहने के लिए लगाया जाता है, उतना ही ध्यान ग्रामीण क्षेत्र के इलाको में लगाया जाए। क्या ग्रामीण क्षेत्रों के रास्ते सही नहीं किये जा सकते ? क्या वहां अस्पतालों का निर्माण नहीं हो सकता ? वाहन कम होने के बावजूद भी वहां सड़क हादसों की संख्या ज्यादा है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का सही इन्तजाम नहीं है। खैर ग्रामीण क्षेत्रों की याद राज्य सरकारों को तब आती है जब चुनाव होते हैं, या सरकार सत्ता में नहीं होती।
सही बात !