“कुण्डलिया छंद”
साथी सखा सभी गये, गयी बचपनी राह
माया में महिमा गयी, बाकी बची न चाह
बाकी बची न चाह, मित्र संज्ञान धर्म है
भूले मत इन्शान, जिवन जग मान कर्म है
समय दिलाए मान, बहुरि संचय सब थाती
विनय विनीत बनाय, धनी मन जीवन साथी ||
महातम मिश्र
साथी सखा सभी गये, गयी बचपनी राह
माया में महिमा गयी, बाकी बची न चाह
बाकी बची न चाह, मित्र संज्ञान धर्म है
भूले मत इन्शान, जिवन जग मान कर्म है
समय दिलाए मान, बहुरि संचय सब थाती
विनय विनीत बनाय, धनी मन जीवन साथी ||
महातम मिश्र