खालीहांड़ी देख कर
मेरी पहली कुंडलिया :-
खालीहांड़ी देख कर, बालक हुआ उदास।
फिर भी माँ से कह रहा, भूख लगी ना प्यास।।
भूख लगी ना प्यास, कह रहा सुन री माता।
होती मुझको भूख, माँग खुद भोजन खाता।।
कहे ‘अमन’ कविराय, न बालक है पाखंडी।
घर की स्थिति है ज्ञात, सामने खालीहांडी।।
– अमन चाँदपुरी (23 सितम्बर 2015)
बहुत सुंदर, सधे हुए शिल्प में उत्कृष्ट कुण्डलिया! बधाई अमन, हांडी को हाँडी या हंडी करना बेहतर रहेगा
बहुत खूब अमन जी, १३-११, १३-११, ११-१३,११-१३,११-१३, ११-१३, दोहा में प्रथम और तीसरी यति गुरू की होती है तथा दूसरी और चौथी यति लघु की होती है और इसका ठीक उल्टा रोला होता है , उत्तम प्रयास मान्यवर