ताजी खबर : ताजी कुंडलिया
मक्का हज करने गए, कई लाख जो लोग।
अल्ला कैसे हो गया, दुखद बड़ा संयोग।
दुखद बड़ा संयोग, मची भगदड़ कुछ ऐसी।
मरे सैकड़ों व्यक्ति, बिछी हैं लाशेँ कैसी।
कह ‘पूतू’ कविराय, हुआ सुन हक्का-बक्का।
पुनः हुआ इक बार, रक्त रंजित जो मक्का॥
— पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’
मार्मिक रचना