गीत/नवगीत

ओज गीत

सुनो घायल घाटी की पीर
चीर दो जयचंद जाफर मीर
तुम्हें कश्मीर से गर है प्यार
करो अब वार के बदले वार
सारी कायरता को दो छोड़
तिलक शेखर सी बुझाएँ मोड़
युद्ध का बिगुल बजाओ
शत्रु पर बम बरसाओ

प्यार का हमने रखा प्रस्ताव
किन्तु बदले में मिले बस घाव
फिर भी खामोश रहे हर बार
नहीं है कश्मीर पर अधिकार
सँभालो वंदे मातरम् गीत
पक्की है रणचंडी में जीत
उसे श्रोणित दिखलाओ
शत्रु पर बम बरसाओ

गाता आया मजहब का राग
लगाई देश विदेश में आग
खतरे में माता का परिधान
भारत माँ मांग रही बलिदान
बदलने लगा है दुश्मन वेश
झाँसे में फंस न जाये देश
जवानों शस्त्र उठाओ
शत्रु पर बम बरसाओ

जो बनते हरदम साहूकार
चलाते मौत का कारोबार
जुगनू सूरज पर जाता थूक
जबाब देना होगा दो टूक
ला दो दुश्मन के घर भूचाल
निश्चित कर दो उन सबका काल
चलो लाहौर उड़ाओ
शत्रु पर बम बरसाओ

हर लो हाफिज गीदड़ के प्राण
थामो सब अर्जुन वाला बाण
काटे गर वो सैनिक का शीश
बदले में काटो तुम भी तीस
करलो पेशावर पर अधिकार
तहलका मचा दो सीमापार
पाक में ध्वज लहराओ
शत्रु पर बम बरसाओ

उत्तम सिंह ‘व्यग्र’