लघुकथा

लघुकथा : मनचले

लॉन्ग रूट की बस सर्पीली पहाड़ी सड़क से गुजर रही थी l कंडक्टर की सीटी के साथ ही बस सवारियों को चढ़ाने के लिए एकाएक रुकी l अन्य सवारियों के साथ दो किशोरियां भी बस में चढ़ी l दो मनचले लड़के भी उनका पीछा करते बस में चढ़ गए थे l बस की सभी सीटों पर सवारियां बैठी थी , इसीलिए दोनों लड़के बस की बीच वाली गैलरी नुमा जगह पर खड़े हो गए l दोनों किशोरियों को सीट पर बैठी सवारियों ने आगे – पीछे, जैसे – तैसे एडजस्ट करके बिठा दिया l एक मनचले ने आगे वाली सीट पर बैठी किशोरी के साथ बुदबुदाहट के साथ छेड़खानी शुरू कर दी और दुसरा मनचला पीछे वाली सीट पर बैठी किशोरी के साथ अपनी टांग सटाकर खड़ा हो गया l यही क्रम काफी देर तक चलता रहा l पीछे वाली किशोरी के सामने की सीट पर सिधांत अपनी 5 साल की बेटी और पत्नी के साथ बैठा था l किशोरी की नज़र सिधांत पर पड़ी तो वह लज्जा से झेंप सी गई  थी l मानो, सहायता के लिए कहना चाहती हो मगर संकोचवश कह न पा रही हो l

बस में भीड़ ज्यादा होने के कारण किसी का भी ध्यान उन मनचलों की हरकतों पर नहीं गया l सिधांत ने जैसे ही पीछे वाली किशोरी से कहा कि “अगर आपको बैठने में कोई परेशानी हो रही है तो आप मेरी सीट पर बैठ जाइये l”  इससे पहले कि वह किशोरी कुछ प्रतिक्रिया देती, पीछे वाला मनचला सचेत हो गया l सिधांत ने उस मनचले को उग्र भावों के साथ घूर कर देखा तो उसके माथे पर बल पढ़ने लगे l सहारे का अहसास पाकर, आगे बैठी  किशोरी ने भी हिम्मत जुटाकर ऊँचे स्वर में विरोध कर दिया l सभी सवारियों की नज़र अब उन मनचलों पर थी l दो – तीन सवारियों ने उन्हें हड़का भी दिया था l ये देखकर दोनों मनचलों पसीने – 2 हो गए थे l उनकी टांगों में पैदा हो चुकी कंपकपी से उनका बस में खड़ा रहना अब मुश्किल हो गया था l सवारियों को उतारने के लिए जैसे ही बस रुकी तो वो मनचले तेजी से बस से नीचे उतर गए l

दोनों किशोरियों के चेहरों पर अब मुस्कान तैर रही थी l शायद वे समझ चुकीं थी कि निडरता और आत्मविश्वास से हर मुसीबत का सामना किया जा सकता है l कुछ ही देर में उनका स्टॉपेज आ गया l उन्होंने  निश्चल नेत्रों से सिधांत को एक नज़र देखा और धन्यवाद करते हुए बस से उतर गई l सिधांत ने भी मुस्कुरा कर संतोष की सांस ली l उसका सफ़र लम्बा था, इसीलिए उसने आँखे मूंद ली थी l बस अब पुनः पहाड़ी – सर्पीली सड़क पर निर्बाध दौड़ रही थी l

– मनोज चौहान 

मनोज चौहान

जन्म तिथि : 01 सितम्बर, 1979, कागजों में - 01 मई,1979 जन्म स्थान : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के अंतर्गत गाँव महादेव (सुंदर नगर) में किसान परिवार में जन्म l शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी l सम्प्रति : एसजेवीएन लिमिटेड, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से (दैनिक भास्कर में प्रथम लेख प्रकाशित) l प्रकाशन: शब्द संयोजन(नेपाली पत्रिका), समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, मधुमती, आकंठ, बया, अट्टहास (हास्य- व्यंग्य पत्रिका), विपाशा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, हिमभारती, शुभ तारिका, सुसंभाव्य, शैल- सूत्र, साहित्य गुंजन, सरोपमा, स्वाधीनता सन्देश, मृग मरीचिका, परिंदे, शब्द -मंच सहित कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रकाशित पुस्तकें : 1) ‘पत्थर तोड़ती औरत’ - कविता संग्रह (सितम्बर, 2017) - अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद(ऊ.प्र.) l 2) लगभग दस साँझा संकलनों में कविता, लघुकथा, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रसारण : आकाशवाणी, शिमला (हि.प्र.) से कविताएं प्रसारित l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय – महादेव, तहसील - सुन्दर नगर, जिला - मंडी ( हिमाचल प्रदेश ), पिन - 175018 वर्तमान पता : सेट नंबर - 20, ब्लॉक नंबर- 4, एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफिस- दत्तनगर, तहसील - रामपुर बुशहर, जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश)-172001 मोबाइल – 9418036526, 9857616326 ई - मेल : [email protected] ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com