हास्य गीतिका
वो सूखी लीद तुम अपने तबेले से हटा लेना।
जहाँतक हो सके सब गंद चादर की छुड़ा लेना।
तुम्हारे घर मुझे आना तभी यह बात बोली है,
खजेले कुत्ते को अपने दुआरे से भगा लेना।
निहायत झक्क एक दुर्दांत दिखती रोज थोबड़ पे,
गुजारिश है मेरी तुमसे जरा दाढ़ी बना लेना।
न बदबू आए कमरे से, न झलके जाल मकड़ी के,
मिले मौका अगर तो याद से झाड़ू लगा लेना।
नहीं मेहमान को बासी खिलाते जान लो घोंचू
नये चावल तुम्हें भिजवाए हैं उनको पका लेना।