ग़ज़ल
रंजिसो से तेरा वासता तो नही
नफरतो को मिला रासता तो नही ।
रोड पर आज क्यों हैं चली लाठियाँ
आज पुतला किसी का जला तो नहीं
राहतें किस तरह से मिलेगी तुम्हें
प्यार है दर्द कोई दवा तो नहीं
भ्रूण को मारकर पाप तुम मत करो
जीव है मांस का लोथड़ा तो नहीं
हर घड़ी है क्षितिज पर हमारी नजर
प्रेम का सूर्य अब तक ढला तो नहीं
होते बापू अगर पूछता बस यही
देश आजाद अब भी हुआ तो नहीं
आरजू है मेरी बन्दगी मैं करू
बाप माँ से बड़ा है खुदा तो नहीं
— धर्म पाण्डेय